क्या तुम्हें भी आती है याद मेरी?
क्या तुम भी जागा करते हो?
दबाकर आँसू पलकों में तुम भी
मेरी खुशियाँ माँगा करते हो?
भूल जाऊं, पर कैसे बोलो
प्रीत तेरी जो हिय में बसी
वो चंचल चितवन, निर्झर नयन
उन पुष्प अधरों पर भोली सी हंसी
दबाता हूँ मैं बार-बार
स्मृतियाँ आती हैं उभर-उभर
करता हूँ जो भूल आज
सालेगी मुझको उम्र भर
भूल कहूँ या परवशता
बेबस हूँ स्वाधीन नहीं
स्नेहपाश में जकड़ा हूँ
वरना मैं ऐसा हीन नहीं
~ सुधांशु कुमार
क्या तुम भी जागा करते हो?
दबाकर आँसू पलकों में तुम भी
मेरी खुशियाँ माँगा करते हो?
भूल जाऊं, पर कैसे बोलो
प्रीत तेरी जो हिय में बसी
वो चंचल चितवन, निर्झर नयन
उन पुष्प अधरों पर भोली सी हंसी
दबाता हूँ मैं बार-बार
स्मृतियाँ आती हैं उभर-उभर
करता हूँ जो भूल आज
सालेगी मुझको उम्र भर
भूल कहूँ या परवशता
बेबस हूँ स्वाधीन नहीं
स्नेहपाश में जकड़ा हूँ
वरना मैं ऐसा हीन नहीं
~ सुधांशु कुमार
wow.
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