आती है तुम्हारी याद प्रिये
देखी खुशी मेरे अपनों में
सपने देखे उनके सपनो में
एक हो तुम भी उनमे से ही
नहीं कोई तुम अपवाद प्रिये
आती है तुम्हारी याद प्रिये
सर्वोत्तम था सर्वगुण आगर था
तुम सरिता थी मैं सागर था
क्या थी वो मिथ्या मनुहार
या प्रथम प्रेम का प्रमाद प्रिये
आती है तुम्हारी याद प्रिये
बहुत हो चुका अब हठ छोड़ो
पल-पल टूट रहे तारों को जोड़ो
मानिनी मैं कब से मांग रहा
तेरी ममता का प्रसाद प्रिये
आती है तुम्हारी याद प्रिये
~ सुधांशु कुमार~
रूठ गए तुम आज पी से
देते हो सजा खामोशी से
मैं एकाकी रात बिताता हूँ
मन में लिए अवशाद प्रिये
आती है तुम्हारी याद प्रिये
देखी खुशी मेरे अपनों में
सपने देखे उनके सपनो में
एक हो तुम भी उनमे से ही
नहीं कोई तुम अपवाद प्रिये
आती है तुम्हारी याद प्रिये
सर्वोत्तम था सर्वगुण आगर था
तुम सरिता थी मैं सागर था
क्या थी वो मिथ्या मनुहार
या प्रथम प्रेम का प्रमाद प्रिये
आती है तुम्हारी याद प्रिये
बहुत हो चुका अब हठ छोड़ो
पल-पल टूट रहे तारों को जोड़ो
मानिनी मैं कब से मांग रहा
तेरी ममता का प्रसाद प्रिये
आती है तुम्हारी याद प्रिये
~ सुधांशु कुमार~
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