Monday, January 09, 2012

मधुर मिलन (Madhur Milan)

My composition for the dearest one :

तुम मेरी आशा अनंत बनो
मैं तेरा सकल संसार बनूँ
तुम मेरी जन्मों की प्यास बनो
और मैं अमृत की धार बनूँ

मैं कह दूँ और तुम सुन लो
अधरों में ना कोई कंपन हो
अपलक देखें एक-दूजे को
आँखों में अक्षय अपनापन हो

तुम हो सिमटी-सकुचाई सी
मेरा मन हो अधीर प्रिये
हम खो जाएँ एक-दूजे में
जैसे सरिता-सागर का नीर प्रिये

~सुधांशु कुमार~